उरई जालौन------:( रिपोर्ट -रोहित गुप्ता भारत News Nation 24)उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड जनपद जालौन के मुख्यालय उरई में जिला जजी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट में तैनात लिपिकों के फर्जीवाड़े को जिजा जज अशोक कुमार सिंह ने पकड़ लिया। लिपिकों ने पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश किए आरोपपत्र को न्यायाधीश के सामने ही प्रस्तुत नहीं किया गया बल्कि उन्हें एक पोटली में बांधकर डाल दिया। जब मामला सामने आया तो जिला जज ने तीन लिपिकों को निलंबित कर दिया। इसके अलावा दो अन्य लिपिकों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी।
आपको घटना से अवगत कराते चला कि पुलिस आरोपपत्र (चार्जशीट) सीजेएम कोर्ट में दाखिल करती है लेकिन यहां तैनात लिपिकों ने कई मामलों को सीजेएम के सामने ही प्रस्तुत नहीं किया। बीती 11 अप्रैल को जिला जज ने सीजीएम कोर्ट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें एक कपड़े में लिपटी कुछ फाइलें मिलीं। इसे खोलने के बाद पता चला कि वे सभी पुराने मामलों की चार्जशीट थीं। न्यायाधीश ने इस बारे में जब मौजूद कर्मियों से जानकारी की तो कोई कुछ नहीं बता सका।
जिला जज ने बताया कि कपड़े में लिपटी करीब 533 चार्जशीटों के दस्तावेज थे। ये चार्जशीट 28 अगस्त 2011 से लेकर 29 जनवरी 2020 तक की अवधि के मध्य की थीं। इन्हें कभी सीजेएम के सामने प्रस्तुत ही नहीं किया गया। करीब 167 चार्जशीटें ऐसी थीं, जिनके समय से संज्ञान में न लाने के कारण उनकी प्रसंज्ञान लेने की अवधि भी निकल गई। मामले में लापरवाही मानते हुए जिला जज ने 28 अगस्त 2011 से 29 जनवरी 2020 तक कार्यरत रहे लिपिकों भूपेंद्र सिंह के अलावा वर्तमान में जेएम कोर्ट उरई में कार्यरत संतोष रावत और जालौन कोर्ट में कार्यरत शशिकांत मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
इसके अलावा वर्तमान में माधौगढ़ कोर्ट में तैनात लिपिक नियाजुद्दीन और पारिवारिक न्यायालय में कार्यरत राजीव खरे के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। जिला जज का कहना है कि समय से चार्जशीट पर सुनवाई न होने से कई आरोपियों को लाभ मिला है। लिहाजा न्यायिक अधिकारियों की टीम से जांच कराई जाएगी। बताया कि भूपेंद्र सिंह पहले से ही लापरवाही के एक अन्य मामले में निलंबित चल रहा है। भूपेंद्र के पहले निलंबन की अवधि समाप्त होते ही दूसरे निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
No comments:
Post a Comment