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Thursday, 8 April 2021

आम जनता के पैसों से किया गया एक बड़ा सुनियोजित घोटाला वन विभाग हर वर्ष करोड़ों वृक्षों को लगाने का करता दावा


 जालौन उरई -----------:(ब्यूरो रिपोर्ट भारत News Nation 24)उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड अत्यंत गंभीर मुद्दे की तरफ आपका ध्यान आकर्षण कराना चाहता हूं जो कि न केवल आम जनता के पैसों से किया गया एक बड़ा सुनियोजित घोटाला है बल्कि पर्यावरण की दृष्टिकोण से भी अत्यंत गंभीर है।
 आपको अवगत कराते चलें कि जुलाई 2008 को प्रदेश के  बुंदेलखंड के सात जनपदों से मनरेगा के तहत वन विभाग द्वारा विशेष बृहद वृक्षारोपड़ अभियान के तहत 4.5 करोड़ पौधों का रोपण 45 दिन के अंदर कराया गया था।  2012 में 2008 में लगाए हुए कितने वृक्ष जीवित बचे इसका विस्तार से विवरण मांगा जो मुझको कुछ जनपदों से प्राप्त हुआ है।

 जनपद जालौन में जो सरकारी आंकड़े मुझको उपलब्ध कराए गए उसके तहत 2008 में विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत 7882 हेक्टेयर में 8458832 रोहित वृक्षों की संख्या दर्शाई गई है तथा जीवित पौधे 5836442 दर्शाई गई है एवं सफलता प्रतिशत 59% दिखाई गई है।
      इन वृक्षो  की खोज में मैं पिछले सप्ताह जालौन जनपद का भ्रमण किया और पाया की वन विभाग द्वारा जिन स्थानों पर रोपण किया दर्शाया गया है वहां 3% भी वृक्ष मौजूद नहीं है। 
3 रेंज में मैं स्वयं पूरे जंगल का भ्रमण किया उरई रेंज, कदौरा रेंज, और कालपी रेंज जिसका वीडियो संलग्न है। यह वृक्ष कहां गए मूल प्रश्न है? वन विभाग हर वर्ष करोड़ों वृक्षों को लगाने का दावा करता है।
ध्यान देने योग्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में बुंदेलखंड क्षेत्र में 10 करोड़ पौधों की रोपण की विशेष योजना बनाई थी जिसके तहत वन विभाग को 4.5 करोड़ पौधों का रोपण करना था। 1 जुलाई  2008 को इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा बुंदेलखंड के समस्त जनपदों के अधिकारी एवं उन विभागों के प्रमुख सचिव एवं अधिकारियों को सूचित किया गया जिनके द्वारा यह रोपण कराया जाना था। वन विभाग की 17 -8 -2008 तक की रिपोर्ट के अनुसार विभाग में बुंदेलखंड के समस्त 7 जनपद में 4.52 करोड़  वृक्षारोपण कर दिया था अर्थात लक्ष्य से भी अधिक वृक्षारोपण किया।
उरई रेंज में बोहदपुरा वृक्षारोपण स्थल था जहां 300 हेक्टेयर में 293000 वृक्ष लगाने का दावा किया था 2008 में वन विभाग ने तथा 2012 में 205100  वृक्ष को जीवित दर्शाया है। इस जंगल में 1000 भी जीवित वृक्ष नहीं है जिनकी उम्र 10 साल के करीब हो।
दूसरा जंगल कदौरा रेंज में बरही/तिरही का मैने भ्रमण किया जहां वन विभाव ने 2008 में 75 हेक्टेयर में 82500 पौध लगाने की बात दर्शाई थी तथा 2012 में 56100 वृक्ष जीवित बताए है। इस पूरे जंगल में 500 वृक्ष भी मौजूद नही है जो 10 साल पुराने हो।
कालपी रेंज के काशीरामपुर जंगल में वन विभाग ने 2008 में 33000 पौध लगाने की बात कही है और 2012 मे 22605 वृक्ष जीवित दर्शाए है । पूरे जंगल में भ्रमण के दौरान 500 वृक्ष भी नही मौजूद है।
1 जुलाई 2008 को प्रमुख सचिव द्वारा वन विभाग को 4.5 करोड़ पौधरोपण करने का लक्ष्य दिया गया था जिसके सापेक्ष 17 अगस्त 2008 को वन विभाग ने जो रिपोर्ट प्रेषित की है उसके अनुसार बांदा जिले में 5.59 लाख, हमीरपुर जिले में 77 लाख , महोबा जिले में 34 लाख, चित्रकूट जिले में 77 लाख , जालौन जिले में 71.50 लाख , झांसी जिले में 71.50 लाख,   ललितपुर जिले 115 लाख  पौधे लगाए जा चुके थे। अर्थात 45 दिनों में वन विभाग में यह चमत्कार किया।
पूर्व में सपा एवम बसपा सरकार के कार्यकाल में सरकारी कागजों  के अनुसार जो 100 करोड़ वृक्ष लगाकर कीर्तिमान स्थापित किये गए थे वो वृक्ष भी ग़ायब हो गए है।यह वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया गया एक बड़ा घोटाला है।
मेरा आपसे अनुरोध है की आप शासन स्तर पर एक वरिष्ठ अधिकारियों की टीम बनवा कर  पूरे बुंदेलखंड के 2008 में रोपित पौधों का भौतिक सत्यापन मानसून से पहले कराने का आदेश दे,और घोटाले के दोषी अधिकारी पर मुकदमा ,धन वसूली और आय से अधिक की जांच की कार्यवाही सुनिश्चित कराने को निर्देशित करे। दो माह बाद पुनः करोड़ों रुपए वन विभाग को कागज पर वृक्ष लगाने के लिए इस बार न दिया जाए और इस एक माह में इनके द्वारा किए गए एक दशक में वृक्षारोपड़ को चेक करा लिया जाए।
 सादर
           संजय दीक्षित
सामाजिक कार्यकर्ता
पूर्व सदस्य,केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद ,भारत सरकार
ईमेल -sanjay1304dixit@gmail.com
मोबाइल नम्बर 9453240767

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