जालौन-------: उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड जनपद जालौन के माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के गांव सिरसा दोगढी निवासी किसान रामबली सिंह ने अपने बेटे की सलाह पर दो बीघे खेत में केशर की पैदावार कर जिले के किसानों के लिए जहां एक मिसाल पेश की, वहीं अपनी किस्मत का पिटारा भी खोल दिया। पालीटेक्निक की पढ़ाई करने वाले बेटे सुंदर सिंह उर्फ गोलू की सलाह को मानते हुए किसान ने आठ किलो फूल सहित सवा क्विंटल दाना की पैदावार की, जिसकी बाजार में कीमत लगभग पचास लाख रुपये बताई जा रही है।
तहसील क्षेत्र के गांव सिरसा दोगढी निवासी किसान पूर्व प्रधान रामबली सिंह हाईस्कूल पास हैं। वह सन् 2010-15 पंचवर्षीय तक प्रधान रहे। उनके बेटे सुंदर सिंह ग्वालियर में पालीटेक्निक की पढ़ाई पढ़ रहे हैं। पूर्व प्रधान के अनुसार, उनका बेटा गोलू अपने दोस्त के घर मुरैना गया और वहां पर केशर की खेती देखी। केशर की खेती को देख उसने इसकी खेती करने की सलाह दी।
दोस्त के पिता से चालीस हजार प्रति किलो के हिसाब से दो किलो अमेरिकन केशर दाना लाए और दो बीघा खेत में रोहा बनाकर एक फिट की दूरी पर अक्तूबर के आखिरी सप्ताह में बुआई की। केशर की फसल चार फिट की ऊंचाई तक बढ़ी। किसान के मुताबिक, फसल उगने के बाद पहले फूल की तुड़ाई की गई फिर मार्च में दाना निकाल लिया।
केशर की पत्ती में छोटे-छोटे कांटे होने से आवारा जानवर भी नुकसान नहीं कर सकते। रामबली का कहना है कि बुआई के तीन माह बाद फूल की तुड़ाई की जाती। दो बीघे खेत में आठ किलो फूल और सवा क्विंटल दाना की पैदावार हुई।
चालीस हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से फसल की कीमत पचास लाख रुपये निकली। किसान के केशर की खेती करने की खबर पर उद्यान विभाग के अधिकारी आरके वर्मा अपनी टीम के साथ रामबली के घर पहुंचे और फसल की जांच कर सही रेट दिलवाने का आश्वासन दिया।
केशर का बाजार न होने से कीमत नहीं मिलती
किसान रामबली के मुताबिक, चालीस हजार रुपये किलो के हिसाब से केशर का बीज खरीदा था। अब जब बेचने गया तो उसे बीस हजार रुपये प्रति किलो के भाव दिए जा रहे हैं। जिससे बीज खरीदा था वह भी बीस हजार रुपये किलो के भाव में खरीदने की बात कह रहे हैं।
उसकी पैदावार देखकर कुछ रिश्तेदार बीज ले गए हैं। उसका कहना है कि यदि वह इसी भाव में बेचेगा तो उसे करीब 25 लाख का नुकसान होगा। अब वह उपज की अच्छी कीमत पाने को परेशान हैं।
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