कुठौंद/ईंटो-------: (ब्यूरो रिपोर्ट भारत News Nation 24) उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड जनपद जालौन हमीरपुर के सड़क हादसे में जान गंवाने वाले दोहरे समाज के जिलाध्यक्ष रहे चंद्रेश दोहरे व उनकी पत्नी मीना को अंतिम विदाई देने के लिए दोपहर से ही ग्रामीणों का हुजूम उनके दरवाजे पर एकत्र रहा। देर शाम जैसे ही दोनों के शव पैतृक गांव लालपुर पहुंचे तो चीख-पुकार से पूरा गांव गूंज उठा। दोनों को अंतिम विदाई देने के लिए पूरे जिले भर से दोहरे समाज से जुड़े लोग व बसपा नेता भी पहुंचे थे। हरेक की आंखों से आंसू बह रहे थे। चंद्रेश के बड़े भाई विपिन उर्फ पप्पू ने शवों को मुखाग्नि दी।
आप को घटना से अवगत करा दें चला कि हमीरपुर में रिश्ते की बहन की शादी में शामिल होने के लिए उरई राजेंद्र नगर निवासी चंद्रेश दोहरे अपनी पत्नी मीना, बेटी खुशी के अलावा साले की पत्नी मोहिनी उर्फ चंद्रकली व मीना की मौसेरी बहन गोविंद श्री, उनकी पौत्री काजल उर्फ प्रिया के साथ स्कॉर्पियो से सोमवार की रात हमीरपुर जा रहे थे, तभी उनकी गाड़ी ट्रक से टकरा गई। जिसमें खुशी को छोड़कर सभी की मौत हो गई। खुशी का कानपुर में इलाज चल रहा है। उसकी भी रीढ़ की हड्डी टूटी बताई जा रही है।मंगलवार की सुबह ही बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेंद्र शिरोमणि अपने साथियों के साथ हमीरपुर पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए थे। देर शाम वही लोग दोनों पति-पत्नी के शवों को लेकर लालपुर पहुंचे तो वहां पहले से ही लोगों का हुजूम एकत्र था। जिसमें बसपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे चैनसुख भारती, जगजीवन अहिरवार, वर्तमान में बसपा प्रत्याशी शीतल कुशवाहा पूर्व विधायक संतराम कुशवाह, मलखान पाल आदि मौजूद रहे। इसके अलावा बड़ी संख्या में दोहरे समाज के लोग भी अपने नेता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।
बदहवास हुई भाभी, ससुर भी बेसुध
देवर चंद्रेश व देवरानी मीना के शव देख विपिन की पत्नी बसंती तो दरवाजे पर बेहोश होकर गिर पड़ी। उन्हें गांव की महिलाओं ने किसी तरह संभाला और घर के भीतर ले गई। विपिन के बच्चे भी चाचा-चाची के शवों पर सिर रखकर बिलखते रहे। जिन्हें बड़ी मुश्किल से उनके पिता ने शवों से अलग किया। इसी तरह मीना के पिता बसपा नेता मुरलीधर भी दामाद व बेटी के शव देख बेसुध हो गए। मुरलीधर चीख रहे थे कि सबकुछ ऊपरवाले ने एक झटके में ही छीन लिया। ग्रामीणों के मुताबिक मुरलीधर ने हाल ही में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था, जिसकी पूरी जिम्मेदारी भी चंद्रेश ने ही संभाली थी। जिस स्कॉर्पियो से हादसा हुआ वह भी मुरलीधर के ही नाम थी।
समाज व गांव की राजनीति से जुड़े थे चंद्रेश
ग्रामीणों ने बताया कि चंद्रेश के पिता का देहांत करीब तीन साल पहले ही हुआ था। बड़े भाई विपिन खेती-किसानी करते हैं। चंद्रेश शुरू से ही गांव की राजनीति में सक्रिय रहे थे। उन्हें हाल ही में दोहरे समाज की बागडोर सौंपी गई थी। जिले के दिग्गज बसपाई भी उन्हें काफी पसंद किदादी व नातिन के शवों को देख गूंजी चीखें
चंद्रेश की रिश्तेदार गोविंदश्री व उनकी पौत्री काजल उर्फ प्रिया का शव जैसे ही गोहन के महापौली गांव पहुंचा तो गांव भर में चीख-पुकार मच गई। किसी को यकीन नहीं था कुछ दिन पूर्व सभी हंसकर बोलने वाली दादी और उनकी पौत्री को यूं अचानक अंतिम विदाई देने के लिए एकत्र होना पड़ेगा। काजल के पिता संजू तो बेटी व मां की मौत के गम में दीवार से टेक लगाकर-रोते बिलखते रहे। मां शकुंतला की हालत तो पागलों सी हो गई थी। उसकी जुबां से यही निकल रहा था कि क्या ऐसी ही हालत में देखने के लिए लाडो को सजा धजा कर शादी के लिए भेजा था। काजल चार बहन व एक भाई में दूसरे नंबर की थी। वहीं, कुठौंद के जलालपुर पहुंचे मोहिनी की शव यात्रा में सैकड़ों की भीड़ शामिल थी।
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